Friday, October 10, 2014

जग मेरा छोटा सा

जग मेरा छोटा सा ,
मुठी भर खुशियों सा ,
और नयन भर आंसूं सा
सुबह की नरम नाज़ुक धुप सा
और साँझ की ढलती आगोश सा ,

एक पल को बिकारती ख़ुशी सा,
दूसरे पल बिखरती ज़िन्दगी सा ,
कुछ थोड़ा खोने सा
कुछ ज़िन्दगी पाने सा

ज़िन्दगी है थोड़ी सी ,
जी के भी गुज़ारें गे,
कुछ आंसूं चुराइए गे
कुछ खुशियाँ बांटेगे

छोटी सी मुस्कान है ,
पहचान जानी पहचानी सी..,
और सुर कुछ बोल से ..
सरस धीमे से जाने से ..

आ जाना पास मेरे
सताए तुम्हे जग कोई
कर पाये नहीं कुछ फिर भी ,
बाँट लेंगे दुःख दर्द कई


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