Wednesday, August 12, 2015
आइना
कुछ देखती हूँ तुझे तोह लगता है आइना है ..
लगता है अक्स यह कुछ जाना पहचाना है,
कुछ दर्द.. कुछ मस्ती .. कुछ शब्द अनकहे से..
क्या कहु.. क्या पूछू .. नहीं पता जो कहु
हो मेरे जैसी पर फिर भी दूर हो ..
जीती हो मज़बूती से फिर भी क्यों मजबूर हो ..
खुशियाँ है बिखेरी .., बना मोती आंसुओं के,
है जहान रोशन सा.. कुछ तेरे कुछ मेरे..
Wednesday, July 29, 2015
सावन
बटोरी है खुशियाँ मैंने ..
चुन के अपने हाथों से ..
अच्छा लगे तोह फूल है..
नहीं माटी की धूल है ..
कुछ रंग मौसम के ..
कुछ आप जो दिल में बस गए ..
वह रंगीन सावन का रंग..
और रंगो में लहराता आँचल
मिले फुर्सत तोह मिला लेना
अपने रंग साथ मेरे भी बाँट लेना
चुन के अपने हाथों से ..
अच्छा लगे तोह फूल है..
नहीं माटी की धूल है ..
कुछ रंग मौसम के ..
कुछ आप जो दिल में बस गए ..
वह रंगीन सावन का रंग..
और रंगो में लहराता आँचल
मिले फुर्सत तोह मिला लेना
अपने रंग साथ मेरे भी बाँट लेना
Tuesday, July 28, 2015
कलाम तुझे सलाम
खड़े थे इंतज़ार में ..सुनने को अलफ़ाज़
कुछ देर कहे ..फिर खामोश हो गए.,
जला के दिए.. अँधेरे घरो में..
उजाले मुकाम तक करा गए ..
नन्हे दिलो के नाज़ुक से मन में
माज़ी से आगे बढ़ना सीखा गए
तजुर्बे कलाम बाशिंदे मोहब्बत
दुनिया से पहले मिलकियत सीखा गए..
बाशिंदे हिन्द मूसल ईमान..
इंसान से पहले नियत सीखा गए..
लगता है सूना आँगन मेरे घर का.,
आसरा ऐ बुज़ुर्ग सर से उठा गए .
Sunday, July 26, 2015
फिर कुछ ...
इतेज़ार है आँखों
को तेरे
पूछ रही हैं
बोलो तो ..
जान लेते हो
मैं की सब..
अब बोलो तोह
मानु तब ..
आंसुओं के पार
जाती मैं
कुछ खुशियों को तराशती
हूँ
हाथ तेरा पकड़
कर..
कुछ नाचना गाना चाहती
हूँ
अंदाज़ तेरा मालूम
नहीं पर ..
मुस्कुराहटों
में गुमना चाहती
हूँ
कुछ ज़िन्दगी का तरीका
तेरा
में भी जीना
चाहती हूँ
Saturday, July 18, 2015
Eid
नमाज़ी बन चला मैं..
पढ़ी नमाज़ ना कोई..
जस ख़ुदा वसा मोरे..
तये नमाज़ तो होइ
**********************
रमज़ान गयी गर रोज़ ..
आई ईद हो गयी ...
दे संसार की खुशियाँ ..
ख़ुदा साथ ले गयी ..********************
आँखें तेरी
कुछ खामोश लम्हों सी
यह आँखें तेरी ...
देखती रही .,सेहती रही ..
पुछा जो क्यों गए
उस मुकाम से ...
तो बोली मिलते नहीं
तजुर्बे सीधी साफ़ राहो पर ...
कुछ ख़ुशी .., कुछ दर्द
सहने की ..
और पार उसके कुछ
अनकही सी कहने सी ..
मालूम नहीं .. मुकाम होगा
क्या मेरा ...
पर चलती रहूँ और
सब से हो वाबस्ता ..
साथ तेरे बैठूंगी तोह
सुनुगी.. दिल -ऐ-आगाज़ ...
कुछ दर्द तेरा ..कुछ
बाते मेरे साथ ..
रिश्ता रखती हूँ
दर्द से में तेरे ...
कुछ बात और कुछ
खामोशी के साथ ..Monday, July 13, 2015
ख्याल
तुफानो से गज़रे हज़ार रास्ते ..
खत्म होते तेरे नयनों के चोर पर ..
कुछ याकि आज मुझे है ..
तेरे वादों और तजुर्बे के मोर पर ..
खत्म होते तेरे नयनों के चोर पर ..
कुछ याकि आज मुझे है ..
तेरे वादों और तजुर्बे के मोर पर ..
Monday, June 29, 2015
इंतेज़ार रमज़ान तक
क्या ले कर आया था मैं साथ मेरे नसीब का
जो दिया तूने दिया मालिक मेरा गरीब का
लगा डर जब अकेले से तोह पुछा
डर रहा है क्यों ...
.. कौन था पास तेरे छोड़ आया साथ जो
तब भी था तू रकीब मेरा ..मौला और मालिक तू
नहीं उम्मीद किसी और से जो हाथ तेरे साथ तू
ढूंढता हु आज मैं ..छूने को हाथ तेरा
..कुछ एहसास साये का ..और कुछ साया साथ तेरा
नहीं पास क्या कुछ समय भी बचा नहीं मेरे लिए ..
सब नमाज़ी ले गए क्या आज़ान ऐ रमज़ान में ..
करूँगा इंतज़ार में भी तेरा मैं सेहर तक ..
निकलेगा चाँद मेरा भी उस रोज़ जब दीद तेरी
मीठी रहेगी मेरी भी ईद बन साथ तेरे ..
जो दिया तूने दिया मालिक मेरा गरीब का
लगा डर जब अकेले से तोह पुछा
डर रहा है क्यों ...
.. कौन था पास तेरे छोड़ आया साथ जो
तब भी था तू रकीब मेरा ..मौला और मालिक तू
नहीं उम्मीद किसी और से जो हाथ तेरे साथ तू
ढूंढता हु आज मैं ..छूने को हाथ तेरा
..कुछ एहसास साये का ..और कुछ साया साथ तेरा
नहीं पास क्या कुछ समय भी बचा नहीं मेरे लिए ..
सब नमाज़ी ले गए क्या आज़ान ऐ रमज़ान में ..
करूँगा इंतज़ार में भी तेरा मैं सेहर तक ..
निकलेगा चाँद मेरा भी उस रोज़ जब दीद तेरी
मीठी रहेगी मेरी भी ईद बन साथ तेरे ..
Tuesday, June 23, 2015
कुछ बारिश का मौसम छाया
कुछ बारिश का मौसम छाया
मन हल्का कर खूब रिझाया
टप टप बूंदें बरस कर मन में
रूह आहों तक ठंडक लाया
छिपी ख़ुशी उन छोटी बूंदों में
छूती जाती अंतरंग मन में
पल में एहसास होने का उस का
बाहो में कस कर खूब जताया
मन हल्का कर खूब रिझाया
टप टप बूंदें बरस कर मन में
रूह आहों तक ठंडक लाया
छिपी ख़ुशी उन छोटी बूंदों में
छूती जाती अंतरंग मन में
पल में एहसास होने का उस का
बाहो में कस कर खूब जताया
Saturday, May 23, 2015
धुप सुबहेरे
परिपूर्ण है वह पा के,
खोने को जो नहीं पास मेरे ,
अब लगता है सब मिल गया ,
जो भूल से सब दे दिया ,
था मैं एक गरीब सा ,
जब था सब पास मेरे ,
डर खोने का..और पाने का,
कमी सब की साथ मेरे ,
अब नहीं वह जो दुनिया ,
ना धातु ना पीर मेरे ,
पर लगता है सब पूर्ण है ..
आज़ाद पर , बे ज़ंज़ीर मेरे,
सुकून है नींदों में..
और सोने से धुप सुबहेरे
Saturday, January 31, 2015
आज भी..
कुछ अधूरा सा है मुझ में आज भी..
ढूंढ़ता हूँ मंदिर मस्जिद में आज भी ..
बंधन माया का छोड़ आया ..
बचा है फिर मोह आज भी ..
देखते दूर से ज़िन्दगी चलचित्र
आ रहा है मज़ा दिनों बाद आज भी ..
बीत गाये दिन बीते ..
कुछ बचा नहीं उन का आज भी ..
खुशियों का पता नहीं मुझे ..
पर सूना है आँगन मेरे आज भी
सुन कह सकते है आज भी साथ उसके
पर बैठा है दूर ना साथ आज भी
माज़ी की मर्ज़ी या साथ इ माज़ी
न मालूम कुछ खेल आज भी
अँधेरा है फिर भी चले जा रहे हम
न मंज़िल का पता न रस्ते आज भी ..
ढूंढ़ता हूँ मंदिर मस्जिद में आज भी ..
बंधन माया का छोड़ आया ..
बचा है फिर मोह आज भी ..
देखते दूर से ज़िन्दगी चलचित्र
आ रहा है मज़ा दिनों बाद आज भी ..
बीत गाये दिन बीते ..
कुछ बचा नहीं उन का आज भी ..
खुशियों का पता नहीं मुझे ..
पर सूना है आँगन मेरे आज भी
सुन कह सकते है आज भी साथ उसके
पर बैठा है दूर ना साथ आज भी
माज़ी की मर्ज़ी या साथ इ माज़ी
न मालूम कुछ खेल आज भी
अँधेरा है फिर भी चले जा रहे हम
न मंज़िल का पता न रस्ते आज भी ..
Saturday, January 24, 2015
Shunya शुन्य
एक शुन्य था .. जो रह गया
फिर कुछ सन्नाटा कर गया
कुछ खिलती बिखरती
यादो को यह भर गया
न था राहगीर वह
न हमसफ़र रह गया
आया था वह सुर बनकर
आवाज़ बन कर रह गया
खाली है आज भी घर मेरा
आँगन मेरा
क्या था जो ले गया
क्या वह दे कर फिर गया
कुछ सुबह था नहीं वह
जो साँझ तक भी नहीं रहा
सपने का एहसास भी नहीं
सिर्फ शुन्य बन कर रह गया
-neetu/25-01-2015/01:07
फिर कुछ सन्नाटा कर गया
कुछ खिलती बिखरती
यादो को यह भर गया
न था राहगीर वह
न हमसफ़र रह गया
आया था वह सुर बनकर
आवाज़ बन कर रह गया
खाली है आज भी घर मेरा
आँगन मेरा
क्या था जो ले गया
क्या वह दे कर फिर गया
कुछ सुबह था नहीं वह
जो साँझ तक भी नहीं रहा
सपने का एहसास भी नहीं
सिर्फ शुन्य बन कर रह गया
-neetu/25-01-2015/01:07
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