Wednesday, October 10, 2018

बाकी

थोड़ा लेने दो साँस की अभी कुछ लम्हे बाकी हैं 
कुछ वजूद के कुछ जिम्मेदारी ले लम्हे बाकी हैं
मर चूका है सब बाकी था जो मुझमे थोड़ा 
पर वस्ल के पर्चे की नतीजे अभी बाकी हैं
उन राहों का क्या एतबार जो कभी न अपनी थी 
उन मंजिलों के इंतिहान अभी बाकी है 
मर चूका हूँ में पर राख अभी बाकी है 
- नीतू (०८-१०-२०१८)