Wednesday, August 12, 2015

मुस्कान


क्या कहूँ तेरी खूबसूरती को.. अलफ़ाज़ नहीं पास मेरे ..
देखा तुझे जो आज .. मेरी सुबह हो गयी .. 
शायर तोह नहीं मैं.. पर कुछ अंदाज़ तेरा ..
जुबां पर जो आया तोह .. ग़ज़ल हो गयी ..
-नीतू (12/8/2015)

आइना

कुछ देखती हूँ तुझे तोह लगता है आइना है ..
लगता है अक्स यह कुछ जाना पहचाना है,
कुछ दर्द.. कुछ मस्ती .. कुछ शब्द अनकहे से..
क्या कहु.. क्या पूछू .. नहीं पता जो कहु
हो मेरे जैसी पर फिर भी दूर हो ..
जीती हो मज़बूती से फिर भी क्यों मजबूर हो ..
खुशियाँ है बिखेरी .., बना मोती आंसुओं के,
है जहान रोशन सा.. कुछ तेरे कुछ मेरे..

दिवाली आई है

बहुत हुए रंजो गम, थाम लो खुशियों का दमन
साथ छोड़ उन गमो का ..बढ़ चलो खुशियों की डगर,
घबरा रहा हो मन अगर ..थाम लेना हाथ मेरा,
दौलत नहीं दुनिया की , पर रखेंगे पलकों पर हम,
ना रहो उदास तुम, देखो उजाला लायी है ..
अब अमावस के दिनों बाद, रौशनी की दिवाली आई है
- neetu (12/08/2015 21:57)