Wednesday, August 12, 2015
आइना
कुछ देखती हूँ तुझे तोह लगता है आइना है ..
लगता है अक्स यह कुछ जाना पहचाना है,
कुछ दर्द.. कुछ मस्ती .. कुछ शब्द अनकहे से..
क्या कहु.. क्या पूछू .. नहीं पता जो कहु
हो मेरे जैसी पर फिर भी दूर हो ..
जीती हो मज़बूती से फिर भी क्यों मजबूर हो ..
खुशियाँ है बिखेरी .., बना मोती आंसुओं के,
है जहान रोशन सा.. कुछ तेरे कुछ मेरे..
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