Friday, May 03, 2019

कुछ

करता हूँ इंतज़ार रोज़ कुछ 
बदले समय या हालत कुछ 
वह बहती जा रही है रेत से 
घड़ियां हाथों से कुछ 
ढूंढते सवालों के जवाब कुछ 
गुम अज़ीज़ चेहरे कुछ 
वह नादान खुशियों के पल कुछ 
वोह नन्हे हाथों में वापस आते कुछ 
ग़ुम कुछ धुंधली आँखों के समय 
फिर भी कल का इंतज़ार कुछ 
-नीतू (03-05-2016: 23:41)