Thursday, January 14, 2016

बिनती

हे ईश्वर येह बिनती मेरी,
अगले जनम की सुन लीजो,
कुछ ना दे, दे ठीक लगे जो
पर बिटिया न मोहे कीजो
जो हो बिटिया जन्म मोहो
तो दूजे को ना दीजो

गयी दूजे के घर तो छुटा
घर बार का सहारा
एक छत दे ले लिया
जो था पास सहारा
सपने गए .. नींद गयी
बिना लौ के जींद भई
बहते अश्रु दे कर भी
रोटी दो को मोहताज भई
थामे हाथ तेरा ही साई
मीलो दूर में चलती गयी
फिर बसा के अपने में खुद को
कुछ सपने बुनती गयी
गीली माटी से सपनो का
टूटा अंश लगा सीने से
कुछ सवाल पूछती रही
कुछ जवाब ढूंढती रही
ढूंडा ढांडी के खेल में
नज़रे पुराने निशान कई
मिलती जिससे और कुछ
आदते नई...
बिखरा सा झूठा सा
मंदिर वो भगवान वही
नहीं रकीब मेरा वोह तो
सौदागर कोई...