ख़ुदा ख़ुदा करता रहा
ख़ुदा तो मेरे पास था ,
पैरों में पंख लगे ..,
और खुला आसमान था ..
जो उठा उड़ने को ..
बदल सब छट गए ..
कुछ धुप खिली सुनहरी ,
और उजाले बट गए ..
जी और जंजाल मेरे ,
सब कोने सिमट गए ..
और चेहचाहट भी
कुछ सुर बन गए
लेकर अंगड़ाई , पंख पसार ,
साथ मेरे उड़ गए ..
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