इस भिड़ भरी दुनिया मे, वोह ही एक अकेला
और कोई कुछ भी नही , सिर्फ वोज ही एक मेरा ,
खड़ा रह साथ वोह , बन कर एक ढाल ,
और लड़ता रह सबसे , कभी दुनिया , कभी हालत .
रात - रात जागा सारी वोह , देने को एक सुख्भारी नींद
और खोया रात - दिन का चेन , देने को एक अदद जींद
दौड़ रहा आज तलक , समझाने को वोह अपनी बात ।
कोई सुम टोह ले आज मेरे , दिल कि यह फरियाद ।
थक कर आज है , हिम्मत मेरी टूट रही
फिर यह खुदा अब तलक क्यों , कर रह है देरी
क्या है मेरा कसूर बात दे , जो दे रह है साजा मुझे ,
भला किया सभी के साथ क्या , यह लगी खाता तुझे ।
माँगा एक अदद हमसफ़र , अपने लिए और अपनों कि लिए ,
खुश रहे , खाए-पिए और , सुकून कि जिन्दगी जिए ,
कहता है यह दुनिया खाता है एक ऐसा ,
दिया है इसमे जितना सूद है वैसा।
दे दे वापस मुझे इसमे से जितना मेरा हिस्सा
या कर दे वापस मुहे असल जो था मेरा .
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment