Saturday, January 31, 2015

आज भी..

कुछ अधूरा सा है मुझ में आज भी..
ढूंढ़ता हूँ मंदिर मस्जिद में आज भी ..
बंधन माया का छोड़ आया ..
बचा है फिर मोह आज भी ..
देखते दूर से ज़िन्दगी चलचित्र
आ रहा है मज़ा दिनों बाद आज भी ..
बीत गाये दिन बीते ..
कुछ बचा नहीं उन का आज भी ..
खुशियों का पता नहीं मुझे ..
पर सूना है आँगन मेरे आज भी
सुन कह सकते है आज भी साथ उसके
पर बैठा है दूर ना साथ आज भी
माज़ी की मर्ज़ी या साथ इ माज़ी
न मालूम कुछ खेल आज भी
अँधेरा है फिर भी चले जा रहे हम
न मंज़िल का पता न रस्ते आज भी ..

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