Monday, February 29, 2016

महावीर कर्ण

Preface
This poem is a tribute to a brave young soldier of Indian Air Force., who left this world while saving a thousands of people. He had a choice to saving his life, and to come back home to his loving father and mother, his newly wed wife and his ever so loving sisters. His duty came first and he choose the first. Brave he was..truly a KING. He could not be compared to anyone else than Karn, who inspite of being the most deserved, gave his life for his brothers and his friend.

था महावीर राजा कर्ण वह
दान का जिसके न कोई अपार
माँगा कुंती ने जिससे बदले में
कर्त्तव्य दान ...
सोचा ना एक पल भी उसने
दानी था वोह राजा महान
दे अपनी जान वोह ...
बचा गया कुंती की आन
महा भारत का पुत्र वोह
दीखता नहीं उसका त्याग
जीवंत पूरी प्रजा कर
ओढ़ लिया उसने वस्त्र श्वेत
..कथा पुरानी बहुत है अब
पर रहे कर्ण अभी भी रहते
दे कर सुरक्षा मानव को
आप अपने जीवन है देते
कहती माँ भर आंसू आँख में
गर्व है जीवन तुझ को दिया
बाप पोछते आंसू आँख के
सीना गर्व से चौड़ा मेरा किया
कहती बहन आओगे कब
भैया मेरे नयन मेरे तकते
लेकर राखी हाथों में ..
तुम्हारा रास्ता हम सब देखते .
 -नीतू (१/३/२०१६)

Thursday, January 14, 2016

बिनती

हे ईश्वर येह बिनती मेरी,
अगले जनम की सुन लीजो,
कुछ ना दे, दे ठीक लगे जो
पर बिटिया न मोहे कीजो
जो हो बिटिया जन्म मोहो
तो दूजे को ना दीजो

गयी दूजे के घर तो छुटा
घर बार का सहारा
एक छत दे ले लिया
जो था पास सहारा
सपने गए .. नींद गयी
बिना लौ के जींद भई
बहते अश्रु दे कर भी
रोटी दो को मोहताज भई
थामे हाथ तेरा ही साई
मीलो दूर में चलती गयी
फिर बसा के अपने में खुद को
कुछ सपने बुनती गयी
गीली माटी से सपनो का
टूटा अंश लगा सीने से
कुछ सवाल पूछती रही
कुछ जवाब ढूंढती रही
ढूंडा ढांडी के खेल में
नज़रे पुराने निशान कई
मिलती जिससे और कुछ
आदते नई...
बिखरा सा झूठा सा
मंदिर वो भगवान वही
नहीं रकीब मेरा वोह तो
सौदागर कोई...



Wednesday, August 12, 2015

मुस्कान


क्या कहूँ तेरी खूबसूरती को.. अलफ़ाज़ नहीं पास मेरे ..
देखा तुझे जो आज .. मेरी सुबह हो गयी .. 
शायर तोह नहीं मैं.. पर कुछ अंदाज़ तेरा ..
जुबां पर जो आया तोह .. ग़ज़ल हो गयी ..
-नीतू (12/8/2015)

आइना

कुछ देखती हूँ तुझे तोह लगता है आइना है ..
लगता है अक्स यह कुछ जाना पहचाना है,
कुछ दर्द.. कुछ मस्ती .. कुछ शब्द अनकहे से..
क्या कहु.. क्या पूछू .. नहीं पता जो कहु
हो मेरे जैसी पर फिर भी दूर हो ..
जीती हो मज़बूती से फिर भी क्यों मजबूर हो ..
खुशियाँ है बिखेरी .., बना मोती आंसुओं के,
है जहान रोशन सा.. कुछ तेरे कुछ मेरे..

दिवाली आई है

बहुत हुए रंजो गम, थाम लो खुशियों का दमन
साथ छोड़ उन गमो का ..बढ़ चलो खुशियों की डगर,
घबरा रहा हो मन अगर ..थाम लेना हाथ मेरा,
दौलत नहीं दुनिया की , पर रखेंगे पलकों पर हम,
ना रहो उदास तुम, देखो उजाला लायी है ..
अब अमावस के दिनों बाद, रौशनी की दिवाली आई है
- neetu (12/08/2015 21:57)

Wednesday, July 29, 2015

सावन

बटोरी है खुशियाँ मैंने ..
चुन के अपने हाथों से ..
अच्छा लगे तोह फूल है..
नहीं माटी की धूल है ..
कुछ रंग मौसम के ..
कुछ आप जो दिल में बस गए ..
वह रंगीन सावन का रंग..
और रंगो में लहराता आँचल
मिले फुर्सत तोह मिला लेना
अपने रंग साथ मेरे भी बाँट लेना

Tuesday, July 28, 2015

कलाम तुझे सलाम

खड़े थे इंतज़ार में ..सुनने को अलफ़ाज़ 
कुछ देर कहे ..फिर खामोश हो गए., 
जला के दिए.. अँधेरे घरो में..
उजाले मुकाम तक करा गए ..
नन्हे दिलो के नाज़ुक से मन में  
माज़ी से आगे बढ़ना सीखा गए 
तजुर्बे कलाम बाशिंदे मोहब्बत 
दुनिया से पहले मिलकियत सीखा गए..
बाशिंदे हिन्द मूसल ईमान..
इंसान से पहले नियत सीखा गए.. 
लगता है सूना आँगन मेरे घर का.,
आसरा ऐ बुज़ुर्ग सर से उठा गए . 

Sunday, July 26, 2015

फिर कुछ ...

इतेज़ार है आँखों को तेरे
पूछ रही हैं बोलो तो ..
जान लेते हो मैं की सब..
अब बोलो तोह मानु तब ..

आंसुओं के पार जाती मैं
कुछ खुशियों को तराशती हूँ
हाथ तेरा पकड़ कर..
कुछ नाचना गाना चाहती हूँ

अंदाज़ तेरा मालूम नहीं पर ..
मुस्कुराहटों में गुमना चाहती हूँ
कुछ ज़िन्दगी का तरीका तेरा
में भी जीना चाहती हूँ

Saturday, July 18, 2015

Eid

नमाज़ी बन चला मैं..
पढ़ी नमाज़ ना कोई..
जस ख़ुदा वसा मोरे..
तये नमाज़ तो होइ

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रमज़ान गयी गर रोज़ ..
आई ईद हो गयी ...
दे संसार की खुशियाँ ..
ख़ुदा साथ ले गयी ..

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आँखें तेरी

कुछ  खामोश  लम्हों  सी 
यह  आँखें  तेरी ...
देखती  रही .,सेहती रही .. 
पुछा  जो  क्यों  गए  उस  मुकाम  से ...
तो  बोली  मिलते  नहीं  तजुर्बे  सीधी  साफ़  राहो पर ... 
कुछ  ख़ुशी .., कुछ  दर्द  सहने  की  .. 
और  पार  उसके  कुछ  अनकही  सी  कहने  सी .. 
मालूम  नहीं .. मुकाम  होगा  क्या  मेरा ... 
पर  चलती  रहूँ  और  सब  से  हो  वाबस्ता .. 
साथ  तेरे  बैठूंगी तोह  सुनुगी.. दिल -ऐ-आगाज़ ...
कुछ  दर्द  तेरा  ..कुछ  बाते  मेरे  साथ .. 
रिश्ता  रखती  हूँ  दर्द  से  में  तेरे ... 
कुछ  बात  और  कुछ  खामोशी  के  साथ ..

Monday, July 13, 2015

ख्याल

तुफानो  से  गज़रे  हज़ार  रास्ते ..
खत्म  होते  तेरे  नयनों  के  चोर  पर ..
कुछ  याकि  आज  मुझे  है ..
तेरे  वादों   और  तजुर्बे  के  मोर  पर .. 

Monday, June 29, 2015

इंतेज़ार रमज़ान तक

क्या ले कर आया था मैं साथ मेरे नसीब का
जो दिया तूने दिया मालिक मेरा गरीब का
लगा डर जब अकेले से तोह पुछा
डर रहा है क्यों ...
.. कौन था पास तेरे छोड़ आया साथ जो
तब भी था तू रकीब मेरा ..मौला और मालिक तू
नहीं उम्मीद किसी और से जो हाथ तेरे साथ तू
ढूंढता हु आज मैं ..छूने को हाथ तेरा
..कुछ एहसास साये का ..और कुछ साया साथ तेरा
नहीं पास क्या कुछ समय भी बचा नहीं मेरे लिए ..
सब नमाज़ी ले गए क्या आज़ान ऐ रमज़ान में ..
करूँगा इंतज़ार में भी तेरा मैं सेहर तक ..
निकलेगा चाँद मेरा भी उस रोज़ जब दीद तेरी
मीठी रहेगी मेरी भी ईद बन साथ तेरे ..

Tuesday, June 23, 2015

कुछ बारिश का मौसम छाया

कुछ बारिश का मौसम छाया
मन हल्का कर खूब रिझाया
टप टप बूंदें बरस कर मन में
रूह आहों तक ठंडक लाया
छिपी ख़ुशी उन छोटी बूंदों में
छूती जाती अंतरंग मन में
पल में एहसास होने का उस का
बाहो में कस कर खूब जताया



Saturday, May 23, 2015

धुप सुबहेरे



परिपूर्ण है वह पा के,
खोने को जो नहीं पास मेरे ,
अब लगता है सब मिल गया ,
जो भूल से सब दे दिया ,
था मैं एक गरीब सा ,
जब था सब पास मेरे ,
डर खोने का..और पाने का,
कमी सब की साथ मेरे ,
अब नहीं वह जो दुनिया ,
ना धातु ना पीर मेरे ,
पर लगता है सब पूर्ण है ..
आज़ाद पर , बे ज़ंज़ीर मेरे,
सुकून है नींदों में..
और सोने से धुप सुबहेरे 

Saturday, January 31, 2015

आज भी..

कुछ अधूरा सा है मुझ में आज भी..
ढूंढ़ता हूँ मंदिर मस्जिद में आज भी ..
बंधन माया का छोड़ आया ..
बचा है फिर मोह आज भी ..
देखते दूर से ज़िन्दगी चलचित्र
आ रहा है मज़ा दिनों बाद आज भी ..
बीत गाये दिन बीते ..
कुछ बचा नहीं उन का आज भी ..
खुशियों का पता नहीं मुझे ..
पर सूना है आँगन मेरे आज भी
सुन कह सकते है आज भी साथ उसके
पर बैठा है दूर ना साथ आज भी
माज़ी की मर्ज़ी या साथ इ माज़ी
न मालूम कुछ खेल आज भी
अँधेरा है फिर भी चले जा रहे हम
न मंज़िल का पता न रस्ते आज भी ..

Saturday, January 24, 2015

श्री हरी


कुछ ढूंढ़ता हूँ पा कर तुझे
सबमे है  तू  श्री  हरी ..
एक अधूरा सा .. कुछ में .
सिर्फ पूर्ण तू श्री हरी

इन पथरो में ..कुछ फूलों में ..
कुछ जीवों ..कुछ  निर्जीव  में ..
माटी  का  बना  में ..
सजीव  तू  श्री  हरी ..

Shunya शुन्य

एक शुन्य था .. जो रह गया
फिर कुछ सन्नाटा कर गया
कुछ खिलती बिखरती
यादो को यह भर गया
न था राहगीर वह
न हमसफ़र रह गया
आया था वह सुर बनकर
आवाज़ बन कर रह गया
खाली है आज भी घर मेरा
आँगन मेरा
क्या था जो ले गया
क्या वह दे कर फिर गया
कुछ सुबह था नहीं वह
जो साँझ तक भी नहीं रहा
सपने का एहसास भी नहीं
सिर्फ शुन्य बन कर रह गया
-neetu/25-01-2015/01:07

Sunday, October 19, 2014

I am the abandon child, adopt me

Preface

I am the abandoned child of very worthy parents, who abandoned me out of fear. Fear that the mighty will overpower and kill me. They, my parents gifted me to their childless friends who had love in abundance. They cared and loved me and did everything they could. I was bought up by the poor villagers who only had love to give. My little friends had to work at an early age for a living. I was the only hope for them. I found my love in a village girl, and for her I was the existence and end of the world. All the other young girls of the village revolved around me and found joy by their dance and play. All these beautiful girls play brought all kinds to color to the lives… colors of happiness, sorrow, joy, love and separation. Little did I realize life moves on, and I had to go. I had to go and free the world of the darkness that exists. The darkness that lets brother kill brother, father kill son and mother abandon their child. I had to perform my karma. Not only I have to move people from darker to the brighter side, but also prepare them for future. Future is uncertain, unseen and un-assumed. I may not be there at all, because nothing is permanent. Everything has to finally end, but that is not death. Everything merges into thee. Adopt me while you are moving from one phase to another. And whenever u will find yourself alone, you would always find me adopting yourself in my arms.., secure and safe.



I am the abandoned child, adopt me

My mother abandoned me,
My father left me far off,
I am the abandoned child,
Adopt me, adopt me.

I kept on wandering on the roads,
Stealing from people’s homes,
Making friends with likes me,
Adopt me, adopt me.

You are the fairer,
I am the darker,
When no one to care,
Adopt me, adopt me.

When Radha was alone,
And gopies had no one,
To dance and raas with me,
Adopt me, adopt me.

When Gopals had to work hard,
Feeding cows and taking then far,
To play and fun at work,
Adopt me, adopt me.

When Gokuls had meagre,
Which wont suffice to fill there,
To share with the world,
Adopt me, adopt me.

When the kansh will have fun,
Killing relations all gone,
To no one to then run,
Adopt me, adopt me.

When droupadi will cry,
With no morals to try,
To restore her womanhood,
Adopt me, Adopt me.

When there is a fight,
For no will or right,
All relations left on a side,
Adopt me, adopt me.

When there is none,
And everyone is gone,
To learn the unlearn,
Adopt me, adopt me.

When it living or life,
With roller coaster ride,
to take it on stride,
Adopt me, adopt me.

With my arms opened,
I would welcome you,
Whatever you and whenever you.
I would always..
Adopt you… and you..

Adopt me. 

Friday, October 17, 2014

Ek

iss akelepan ki udasi mein bhi khushi hai ek....
nahi reh paata dekh mujhe akele ek...
chorr duniya ke karobaar nek...
aa beth-ta hai saath mere der..

dhoonte rehte duniya waale usko..
mandir, masjid, gurudwara har-ek..
chup kar rehne ki aadat usko..
ek dil, jigar, bashinda har-ek..

bhir bhari ghanti-yoon mein..
chup jaata hai chota shor ek..
diyoon ki roshi bujhne par..
ban aata hai bhor ek..

dekh durr kotu-hal se paare..
seh paata nahn use insaan bhi ek..
aur hijr ki raat ko banane..
aata banane wasl ek..

उड़ान


ख़ुदा ख़ुदा करता रहा
ख़ुदा तो मेरे पास था ,
पैरों  में पंख लगे ..,
और  खुला  आसमान  था ..
जो  उठा  उड़ने  को ..
बदल  सब  छट गए ..
कुछ  धुप  खिली  सुनहरी ,
और  उजाले  बट गए ..
जी  और  जंजाल  मेरे  ,
सब  कोने  सिमट  गए ..
और  चेहचाहट  भी
कुछ  सुर  बन  गए
लेकर  अंगड़ाई , पंख  पसार ,
साथ  मेरे  उड़   गए ..